Friday, October 10, 2014

Alchemist

तुमसे मिलकर निखर गया हूं मैं
खुशबू बनके फिजां में बिखर गया हूं मैं

तुमने जब से निगाह डाली है
कितनी आंखों में अखर गया हूं मैं

तेरी तासीर ही कुछ ऐसी है
बिन सजे ही संवर गया हूं मैं

मांगा कुछ भी नहीं खुदा की कसम
तेरी रहमत से ही भर गया हूं मैं

खोल दो लब उठा भी लो बांहें
आखिरी बार है मर गया हूं मैं

एक पाकीजा सा नूर है तुझमें
बिन इबादत ही तर गया हूं मैं

मेरे महबूब मुझसे मत पूछो
कहां से आया किधर गया हूं मैं

मैं इक परिंदा तू हौसला मेरा
यूं आसमां फतह कर गया हूं मैं

तेरी खामोशी को पढ़ लेना हुनर है मेरा

अलफाज़ सब तेरे हैं गज़ल में भर गया हूं मैं.

Rajkumar

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